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Theory Computer System : 2

Theory Computer System : 2

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                                               Compure System

डेस्कटॉप/लैपटॉप को शुरू करने की प्रक्रिया:

  1. पावर बटन दबाएं:
    • डेस्कटॉप/लैपटॉप: डेस्कटॉप या लैपटॉप के अगले हिस्से पर स्थित पावर On/Off बटन दबाएं। कुछ कंप्यूटरों पर, कंप्यूटर के On स्थिति में होने पर बटन रोशन (Light Up) होता है।
  2. मॉनीटर चालू करें (यदि डेस्कटॉप है):
    • यदि आप डेस्कटॉप का उपयोग कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि मॉनीटर चालू है। अधिकांश मॉनीटर पर स्क्रीन के निचले हिस्से पर On/Off बटन होता है। मॉनीटर चालू होने पर बटन हरे रंग का हो जाता है।
  3. कंप्यूटर पर लॉगिन करें:
    • यदि आप अपने कंप्यूटर के एक मात्र उपयोगकर्ता हैं, तो कंप्यूटर के शुरू होने पर आप
    • सीधे डेस्कटॉप पर पहुँच सकते हैं।

 

सार्वजनिक कंप्यूटर का उपयोग:

1.लॉगिन खाता:

  • यदि आप अपने कंप्यूटर को अन्य लोगों के साथ साझा कर रहे हैं, तो प्रत्येक उपयोगकर्ता का अलग लॉगिन खाता बनाया जाएगा।

·  लॉगिन प्रक्रिया:

  • कंप्यूटर शुरू करने पर स्क्रीन पर विभिन्न उपयोगकर्ताओं के आइकन दिखाई देंगे।
  • अपने आइकन पर क्लिक करें।
  • आपको पासवर्ड दर्ज करने के लिए कहा जाएगा। मुख्य उपयोगकर्ता (एडमिनिस्ट्रेटर) को आपके लिए इसे सेट करना चाहिए।
  • पासवर्ड टाइप करें और 'लॉगिन' या 'ओके' पर क्लिक करें।

 

 

कंप्यूटर की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उन उपकरणों से बने होते हैं जो कंप्यूटर को इनपुट देते हैं, उसे प्रक्रिया में लेते हैं, संग्रहित करते हैं और इच्छित परिणाम प्रदान करते हैं। इनपुट डिवाइस के माध्यम से जैसे कीबोर्ड से कंप्यूटर में डेटा दिया जाता है और फिर इस डेटा को कंप्यूटर की मेमोरी में संग्रहित किया जाता है। इसके बाद, कंप्यूटर दिए गए निर्देशों के अनुसार इसे प्रक्रिया करता है।

कंप्यूटर परिणाम को आउटपुट डिवाइस के माध्यम से प्रदर्शित करता है, जैसे कि मॉनिटर द्वारा। कंप्यूटर डेटा को प्रोसेस करता है और सूचना उत्पादन करता है। कंप्यूटर केवल विद्युत संकेतों के माध्यम से सूचना को समझ सकता है।

कंप्यूटर के पांच मुख्य भाग हैं:

  1. लोग: जो कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग करते हैं।
  2. प्रोसेसर: जो सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और डेटा का उपयोग करते हुए इन प्रक्रियाओं को कार्यान्वित करता है।
  3. सॉफ्टवेयर: जो निर्देशों को सेट करने और कंप्यूटर को निर्देशित करने के लिए एक प्रोग्राम होता है।
  4. हार्डवेयर: जो उपकरण हैं जो डेटा को प्रक्रिया करने और उत्पन्न करने के लिए नियंत्रित करते हैं। इनमें कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, प्रिंटर, आदि शामिल हो सकते हैं।
  5. डेटा: जो जानकारी को अर्जित करता है और प्रक्रिया करता है। इसमें पाठ, पेज नंबर, इमेजेस, ध्वनियाँ आदि शामिल हो सकते हैं।

 

हार्डवेयर (Hardware): कंप्यूटर के शारीरिक घटकों को हार्डवेयर कहा जाता है। ये उन उपकरणों को संकेत करते हैं जो कंप्यूटर को इनपुट देते हैं, प्रक्रिया करते हैं, संग्रहित करते हैं और इच्छित परिणाम उत्पन्न करते हैं। इनमें सम्मिलित हैं: प्रोसेसर, मेमोरी, हार्ड डिस्क, और अन्य उपकरण।

·  पेरिफेरल (Peripheral): ये हार्डवेयर उपकरण हैं जो कंप्यूटर के साथ जुड़े होते हैं, लेकिन वे सीपीयू के मुख्य अंग नहीं होते। ये इनपुट (कीबोर्ड, माउस) और आउटपुट (मॉनिटर, प्रिंटर) उपकरणों को शामिल करते हैं, जो कंप्यूटर के फंक्शनिंग के लिए आवश्यक होते हैं।

·  प्रोसेसर (Processor): यह कंप्यूटर का मुख्य सर्किट बोर्ड होता है जिसे सीपीयू या केंद्रीय प्रोसेसिंग यूनिट कहा जाता है। यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है जो कंप्यूटर में लॉजिकल और अन्य गणना कार्यों को प्रोसेस करता है।

·  मेमोरी (Memory): कंप्यूटर में डाटा और इंस्ट्रक्शन्स को स्थायी रूप से संग्रहित करने के लिए उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है। प्रमुख रूप से दो प्रकार की मेमोरी होती है: प्राथमिक मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी।

·  इनपुट और आउटपुट डिवाइस (Input and Output Devices): इनपुट डिवाइस कंप्यूटर में डेटा और इंस्ट्रक्शन्स को देने के लिए उपयोग होते हैं (जैसे कीबोर्ड और माउस), जबकि आउटपुट डिवाइस डेटा और सूचना को प्रदर्शित करने के लिए उपयोग होते हैं (जैसे मॉनिटर और प्रिंटर)

प्रोसेसर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है जो सिलिकॉन वर्क से बनी होती है और इसमें लाखों छोटे विद्युत घटक होते हैं। यह घटक ट्रांजिस्टर्स का उपयोग करके सिस्टम के भीतर मौलिक कंप्यूटिंग करती है और अन्य सभी घटकों को नियंत्रित करती है। इसे कभी-कभी केंद्रीय प्रोसेसिंग यूनिट या सीपीयू भी कहा जाता है। एक कंप्यूटर में विशेष प्रकार के प्रोसेसर होते हैं, जैसे  इंटेल कोर i3, i5, i7, Xeon, और स्पार्क प्रोसेसर।

 

·         कंप्यूटिंग सिस्टम के सॉफ्टवेयर घटक की कोई भौतिक उपस्थिति नहीं होती। वे डिजिटल मेमोरी में डिजिटल ग्रुप में संग्रहित होते हैं। इसमें मुख्यतः दो चीजें शामिल होती हैं: डाटा और कंप्यूटर प्रोग्राम। कंप्यूटर प्रोग्राम प्रक्रिया के लिए निर्देश होते हैं, जबकि डाटा वह इनपुट होता है जिसे एक प्रोग्राम की जरूरत होती है। डाटा कई प्रकार का हो सकता है, जैसे अल्फाबेटिक डाटा, संख्यात्मक डाटा, इमेज और ऑडियो डाटा।

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Input Device

इनपुट डिवाइस कंप्यूटर के साथ संवाद करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये डिवाइस उपयोगकर्ताओं को डेटा और निर्देश देने में मदद करते हैं। यहां कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइस और उनके भागों का विवरण दिया गया है:

1. कीबोर्ड

कीबोर्ड एक पारंपरिक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग कंप्यूटर पर टेक्स्ट, नंबर और अन्य कमांड इनपुट करने के लिए किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार की कीज होती हैं:

  • अल्फान्यूमेरिक कीज: अक्षरों और संख्याओं के लिए।
  • फ़ंक्शन कीज: विशेष कार्यों के लिए (जैसे F1, F2,.. आदि)
  • स्पेशल कीज: जैसे एंटर, शिफ्ट, कंट्रोल, ऑल्ट।
  • नेविगेशन कीज: जैसे एरो कीज, होम, एंड।

2. पॉइंटिंग डिवाइस

पॉइंटिंग डिवाइस का उपयोग कंप्यूटर स्क्रीन पर कर्सर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

  • माउस: एक हाथ से संचालित डिवाइस जो स्क्रीन पर कर्सर को स्थानांतरित करने के लिए उपयोग होता है। इसमें बटन और स्क्रॉल व्हील भी होते हैं।
  • टचपैड: एक फ्लैट पॉइंटिंग डिवाइस जो लैपटॉप में पाया जाता है और उंगलियों के स्पर्श से नियंत्रित होता है।
  • ट्रैक पॉइंट: एक छोटा पॉइंटिंग स्टिक जो आमतौर पर लैपटॉप कीबोर्ड के बीच में पाया जाता है।
  • ट्रैकबॉल: एक स्थिर डिवाइस जिसमें एक बड़ी बॉल होती है। उपयोगकर्ता बॉल को घुमाकर कर्सर को नियंत्रित करते हैं।
  • जॉयस्टिक: एक लीवर जैसी डिवाइस जिसका उपयोग वीडियो गेम और सिम्युलेशन सॉफ़्टवेयर में किया जाता है।
    • जॉयस्टिक: यह एक लीवर जैसी डिवाइस है जिसका उपयोग वीडियो गेम और सिम्युलेशन सॉफ़्टवेयर में किया जाता है। इसे विभिन्न दिशाओं में घुमा कर कर्सर को नियंत्रित किया जा सकता है।
  1. टैबलेट: यह एक पोर्टेबल कंप्यूटिंग डिवाइस है जिसमें टचस्क्रीन डिस्प्ले होता है और यह स्टाइलस या फिंगर से संचालित होता है।
  2. ग्राफिक टेबलेट: इसे डिजिटाइज़र भी कहा जाता है, यह कलाकारों और डिजाइनरों के लिए उपयोगी होता है। इसमें एक स्टाइलस होता है जो टेबलेट पर खींचने से डिजिटल ड्रॉइंग और स्केच बनाने में मदद करता है।
  3. स्कैनर: यह एक ऑप्टिकल डिवाइस है जो कागज पर मुद्रित दस्तावेजों और छवियों को डिजिटल रूप में परिवर्तित करता है। स्कैनर विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे फ्लैटबेड स्कैनर, शीट-फेड स्कैनर और हैंडहेल्ड स्कैनर।
  • फ्लैटबेड स्कैनर: एक फ्लैट सतह पर दस्तावेजों को रखकर स्कैन करता है।
  • शीट-फेड स्कैनर: दस्तावेजों को शीट-फीडर में डालकर स्कैन करता है।
  • हैंडहेल्ड स्कैनर: हाथ में पकड़कर दस्तावेजों को स्कैन करने के लिए उपयोग होता है।

 

  1. MIDI डिवाइस:   MIDI (Musical Instrument Digital Interface) डिवाइस का उपयोग संगीत उपकरणों के साथ कंप्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता है, जिससे संगीत उत्पादन और संपादन में सहायता मिलती है।
  2. मैग्नेटिक इंक कैरक्टर रिकॉग्निशन (MICR): यह बैंकिंग उद्योग में उपयोग किया जाता है। MICR टेक्नोलॉजी का उपयोग करके चेक पर मुद्रित संख्याओं को पढ़ा जाता है।
  3. ऑप्टिकल मार्क्स रीडर                                                                                                                                 (OMR): यह एक डिवाइस है जो छपे हुए फॉर्मों पर भरे गए मार्क्स को पढ़ता है, जैसे कि परीक्षा उत्तर पत्रक।
  4. ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR): यह टेक्नोलॉजी छवि से टेक्स्ट को पहचानने और उसे एडिटेबल टेक्स्ट में परिवर्तित करने में मदद करती है।
  5. बारकोड रीडर: यह एक डिवाइस है जो बारकोड को स्कैन करता है और उसमें एन्कोडेड जानकारी को कंप्यूटर में स्थानांतरित करता है। यह सुपरमार्केट और इन्वेंटरी मैनेजमेंट में उपयोगी है। बारकोड रीडर लेजर, CCD (चार्ज-कपल्ड डिवाइस), और इमेजिंग तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं।
  6. स्पीच रिकॉग्निशन डिवाइस: माइक्रोफोन एक इनपुट डिवाइस है जिसका इस्तेमाल ऑडियो डाटा को कंप्यूटर में इनपुट के लिए किया जाता है यह एक वायर के द्वारा कंप्यूटर से जुड़ा होता जिसमें एक माउथ पीस जैसी डिवाइस को ऑडियो पिक्चर करने के लिए उपयोग किया जाता है

 

  1. वेबकैम:  वेबकैम एक डिजिटल कैमरा है  जो कंप्यूटर से जुड़ा होता है और इसका उपयोग वीडियो कॉल, वीडियो रिकॉर्डिंग, और लाइव स्ट्रीमिंग के लिए किया जाता है। वेबकैम की वीडियो गुणवत्ता और फ्रेम रेट विविध हो सकते हैं और इन्हें विभिन्न अनुप्रयोगों, जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ऑनलाइन कक्षाओं, और सोशल मीडिया लाइव स्ट्रीमिंग में उपयोग किया जाता है।डिजिटल कैमरा इनपुट वस्तु पर फोकस करके पिक्चर लेता है और उसको डिजिटल रूप में परिवर्तित करता है जिससे उसे कंप्यूटर कंप्यूटर में स्टोर किया जा सके

 (आउटपुट डिवाइस)Output Devise

1. CRT मॉनिटर (CRT Monitor)

विस्तृत जानकारी:

  • कार्यप्रणाली: CRT मॉनिटर में इलेक्ट्रॉन गन होती है जो फॉस्फोरस-कोटेड स्क्रीन पर इलेक्ट्रॉन बीम फेंकती है। जब यह बीम स्क्रीन पर हिट करता है, तो वह चमकता है और पिक्सल बनाता है।
  • रिज़ॉल्यूशन: CRT मॉनिटर विभिन्न रिज़ॉल्यूशन और ताज़ा दरें प्रदान करते हैं, जिससे इन्हें गेमिंग और ग्राफिक्स डिज़ाइन के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
  • रंग: ये मॉनिटर गहरे काले रंग और उच्च कंट्रास्ट रेश्यो प्रदान करते हैं।
  • उपयोग: हालांकि अब इनका उपयोग कम होता है, फिर भी कई पुराने कंप्यूटर सिस्टम्स और कुछ विशेष उपयोग मामलों में इन्हें इस्तेमाल किया जाता है।

2. फ्लैट पैनल मॉनिटर (Flat Panel Monitor)

विस्तृत जानकारी:

  • LCD (Liquid Crystal Display):
    • कार्यप्रणाली: यह मॉनिटर लिक्विड क्रिस्टल्स का उपयोग करता है जो बैकलाइटिंग द्वारा प्रकाशित होते हैं।
    • फायदे: पतले और हल्के, ऊर्जा की कम खपत, आंखों पर कम तनाव।
    • उपयोग: कंप्यूटर मॉनिटर, टीवी स्क्रीन, लैपटॉप डिस्प्ले।
  • LED (Light Emitting Diode):
    • कार्यप्रणाली: यह मॉनिटर एलईडी बैकलाइट का उपयोग करता है, जो अधिक ऊर्जा-कुशल होता है।
    • फायदे: उच्च ब्राइटनेस, बेहतर कलर एक्यूरेसी, लंबी जीवन।
    • उपयोग: मॉनिटर, टीवी, स्मार्टफोन्स।

3. प्रिंटर (Printer)

विस्तृत जानकारी:

प्रिंटर दो मुख्य प्रकारों में विभाजित होते हैं: इंपैक्ट और नॉन-इंपैक्ट प्रिंटर।

इंपैक्ट प्रिंटर (Impact Printer)

  • डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer):
    • कार्यप्रणाली: प्रिंट हेड में छोटे पिन होते हैं जो एक रिबन के माध्यम से कागज पर प्रहार करते हैं।
    • फायदे: मजबूत और टिकाऊ, कार्बन कॉपी बनाने के लिए उपयुक्त।
    • नुकसान: शोर और धीमी प्रिंट गति।
  • डेज़ी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer):
    • कार्यप्रणाली: एक घूमते हुए व्हील पर अक्षर होते हैं जो रिबन के माध्यम से कागज पर प्रहार करते हैं।
    • फायदे: उच्च गुणवत्ता की टेक्स्ट प्रिंटिंग।
    • नुकसान: धीमी प्रिंट गति और शोर।

नॉन-इंपैक्ट प्रिंटर (Non-Impact Printer)

 

हम तौर पर नॉन इंपैक्ट प्रिंटर ज्यादा तेजी से प्रिंट करते हैं नॉन-इंपैक्ट प्रिंटरइंपैक्ट प्रिंटर की तुलना में और बिना आवाज या कम आवाज के साथ काम करते हैं यह कैरेक्टर को प्रिंट करने के लिए इंपैक्ट वाली डिवाइस का उपयोग नहीं करते

  • इंकजेट प्रिंटर (Inkjet Printer):

o    कार्यप्रणाली: छोटे इंकड्रॉप्स का उपयोग करके कागज पर प्रिंट करता है।

o    फायदे: उच्च गुणवत्ता की प्रिंट, रंगीन और मोनोक्रोम दोनों प्रकार के प्रिंटिंग के लिए उपयुक्त।

o    नुकसान: इंक कार्ट्रिज की लागत अधिक होती है, धीमी प्रिंट गति।

  • लेजर प्रिंटर (Laser Printer):

o    कार्यप्रणाली: लेजर बीम और टोनर का उपयोग करके कागज पर प्रिंट करता है।

o    फायदे: उच्च प्रिंट गुणवत्ता, तेज प्रिंट गति, उच्च वॉल्यूम प्रिंटिंग के लिए उपयुक्त।

o    नुकसान: प्रारंभिक लागत अधिक होती है, रंगीन मॉडल महंगे होते हैं।

  • थर्मल प्रिंटर (Thermal Printer):

o    कार्यप्रणाली: थर्मल पेपर पर गर्मी के माध्यम से प्रिंट करता है।

o    फायदे: शांति से प्रिंटिंग, उच्च गति।

o    नुकसान: थर्मल पेपर महंगा हो सकता है, प्रिंट आउट समय के साथ फीका पड़ सकता है।

o     इसका सबसे ज्यादा उपयोग एटीएम(ATM)  से निकलने वाली रसीद की छपाई में किया जाता है4.कैरेक्टर प्रिंटर (Character Printer)

विवरण:

कैरेक्टर प्रिंटर ऐसे प्रिंटर होते हैं जो एक समय में एक अक्षर (करेक्टर) प्रिंट करते हैं। ये प्रिंटर इंपैक्ट प्रिंटर की श्रेणी में आते हैं, क्योंकि इनमें प्रिंटिंग प्रक्रिया के दौरान कागज पर भौतिक प्रभाव (इंपैक्ट) डाला जाता है।

प्रकार:

1.    डेज़ी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer)

    • कार्यप्रणाली: इस प्रिंटर में एक घूमने वाला व्हील होता है जिसमें विभिन्न अक्षर होते हैं। यह व्हील एक प्रकार के फूल के आकार का होता है, जिसमें प्रत्येक 'पंखुड़ी' पर एक अक्षर होता है। व्हील घूमता है और आवश्यक अक्षर को रिबन पर प्रहार कर कागज पर प्रिंट करता है।
    • फायदे: उच्च गुणवत्ता की टेक्स्ट प्रिंटिंग, साफ और स्पष्ट अक्षर।
    • नुकसान: धीमी प्रिंट गति, ग्राफिक्स प्रिंटिंग में अक्षम।

2.    डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer)

    • कार्यप्रणाली: इसमें एक प्रिंट हेड होता है जिसमें छोटे पिन होते हैं। ये पिन रिबन पर प्रहार कर छोटे बिंदुओं (डॉट्स) की श्रृंखला बनाते हैं, जिससे अक्षर और चित्र बनते हैं।
    • फायदे: मजबूत और टिकाऊ, कार्बन कॉपी बनाने के लिए उपयुक्त, कम प्रिंटिंग लागत।
    • नुकसान: शोर और धीमी प्रिंट गति, प्रिंट गुणवत्ता थोड़ी कम होती है।

 

4.लाइन प्रिंटर (Line Printer)

विवरण:

लाइन प्रिंटर ऐसे इंपैक्ट प्रिंटर होते हैं जो एक समय में एक पूरी लाइन प्रिंट करते हैं। ये प्रिंटर तेज़ होते हैं और बड़ी मात्रा में डेटा प्रिंट करने के लिए उपयुक्त होते हैं। इस प्रकार के प्रिंटर में एक प्रिंट हेड का उपयोग होता है , परंपरागत रूप से लाइन प्रिंटर चैन प्रिंटर और ड्रम प्रिंटर के रूप में वर्गीकृत किया जा सकते हैं, इसकी गति प्रिंटर के गुणा के अनुसार 200 से 2000 लाइन प्रति मिनट हो सकती है

 

 प्रकार:

1.    चेन प्रिंटर (Chain Printer)

    • कार्यप्रणाली: इस प्रिंटर में अक्षरों की एक चेन होती है जो उच्च गति से घूमती है। प्रिंट हेड अक्षरों की चेन को रिबन पर प्रहार कर कागज पर प्रिंट करता है। चेन घूमती है और आवश्यक अक्षर कागज पर प्रहार होता है।
    • फायदे: उच्च प्रिंट गति, बड़े पैमाने पर प्रिंटिंग के लिए उपयुक्त।
    • नुकसान: शोर, प्रारंभिक लागत अधिक होती है।

 

 

प्लॉटर (Plotter)

विस्तृत जानकारी:

  • कार्यप्रणाली: प्लॉटर का उपयोग बड़े आकार के ग्राफिक्स, ड्रॉइंग, और तकनीकी चित्र प्रिंट करने के लिए किया जाता है। यह पेन या अन्य ड्रॉइंग उपकरण का उपयोग करता है।
  • फायदे: विस्तृत और सटीक प्रिंटिंग, बड़े आकार के दस्तावेजों के लिए उपयुक्त।
  • उपयोग: आर्किटेक्ट्स, इंजीनियरों, और डिज़ाइनरों द्वारा उपयोग किया जाता है।
  • प्रकार

फ्लैटबेड प्लॉटर: कागज को स्थिर रखते हुए पेन को कागज पर चलाया जाता है।

            ड्रम प्लॉटर: कागज को ड्रम पर लपेटा जाता है और पेन को कागज पर चलाया जाता है।

स्पीकर (Speaker)

 

  • कार्यप्रणाली: स्पीकर इलेक्ट्रिकल ऑडियो सिग्नल को ध्वनि तरंगों में परिवर्तित करते हैं। इसमें एक ड्राइवर होता है जो विद्युत सिग्नल को कंपन में बदलता है।
  • फायदे: उच्च गुणवत्ता की ध्वनि, विभिन्न आकारों और प्रकारों में उपलब्ध।
  • उपयोग: कंप्यूटर, संगीत प्लेयर, होम थिएटर सिस्टम, पब्लिक एड्रेस सिस्टम।

मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर (Multimedia Projector)

लोगों की एक बड़ी संख्या के लिए कंप्यूटर आउटपुट प्रदर्शित करने के लिए मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर काइस्तेमाल किया जाता है यह व्यापक रूप से मीटिंग और कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रेजेंटेशन दिखाने के लिए उपयोग में लिया जाता है

 

 इनपुट/आउटपुट डिवाइस (Input /output Devise

1. फैक्स मशीन (Fax Machine)

इनपुट डिवाइस:

  • विवरण: फैक्स मशीन एक इनपुट डिवाइस है जो दस्तावेजों को प्रिंट करता है और उन्हें फोन लाइन के माध्यम से अन्य फैक्स मशीनों तक भेजता है। इसके लिए एक फोन लाइन की आवश्यकता होती है।

आउटपुट डिवाइस:

  • विवरण: यह भेजे गए फैक्स दस्तावेजों को प्राप्त करता है और उन्हें प्रिंट करता है। इसमें डिजिटल डिस्प्ले और बटन्स भी हो सकते हैं जिनके माध्यम से विभिन्न फ़ंक्शनलिटी को नियंत्रित किया जा सकता है।

 

2. मल्टी-फ़ंक्शन डिवाइस (Multifunction Device)

इनपुट डिवाइस:

  • विवरण: मल्टी-फ़ंक्शन डिवाइस एक इनपुट डिवाइस होता है जो विभिन्न कार्यों को करने की क्षमता रखता है, जैसे कि प्रिंटिंग, स्कैनिंग, फैक्सिंग, और कॉपीइंग।

आउटपुट डिवाइस:

  • विवरण: इसमें विभिन्न प्रकार के डिजिटल डिस्प्ले, प्रिंटर और स्कैनर होते हैं जो उपयोगकर्ता को प्रिंट आउट और स्कैन आउट की सेवाएं प्रदान करते हैं।

3.मॉडेम डिवाइस  (Modem Device)

·         मॉडेम (Modem) का पूरा नाम 'मॉड्यूलेटर-डीमॉड्यूलेटर' है। यह एक ऐसा उपकरण है जो डिजिटल डाटा को एनालॉग सिग्नल में और एनालॉग सिग्नल को डिजिटल डाटा में बदलने का कार्य करता है। मॉडेम का मुख्य उपयोग इंटरनेट से जुड़ने के लिए किया जाता है।

 

कंप्यूटर मेमोरी मानव मस्तिष्क की समान है, क्योंकि यह डेटा और जानकारी को संग्रहीत करती है। कंप्यूटर मेमोरी एक भंडारण स्थान है जहां डेटा को विभिन्न प्रकार की मेमोरी में संग्रहीत किया जाता है, जैसे कि कैश मेमोरी, प्राइमरी मेमोरी, और सेकेंडरी मेमोरी। यहाँ इनका विस्तृत विवरण दिया गया है:

 

कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory)

कैश मेमोरी (Cache Memory)

  • स्थिति: प्रोसेसर के बहुत करीब होती है।
  • गति: बहुत तेज होती है।
  • उद्देश्य: प्रोसेसर को तेजी से डेटा एक्सेस कराने के लिए होती है।
  • उपयोग: हाल ही में उपयोग किए गए डेटा और निर्देशों को अस्थायी रूप से स्टोर करने के लिए होती है।
  • विशेषता: यह प्राथमिक मेमोरी से भी तेज होती है, लेकिन इसकी स्टोरेज क्षमता कम होती है।

प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)

रैम (RAM - Random Access Memory)

  • प्रकृति: अस्थायी (Volatile) मेमोरी होती है।
  • गति: तेज होती है।
  • उद्देश्य: प्रोसेसर द्वारा तेजी से डेटा एक्सेस के लिए अस्थायी रूप से स्टोर करना।
  • डाटा का रखरखाव: कंप्यूटर बंद होने पर डेटा मिट जाता है।
  • प्रकार:
    • DRAM (Dynamic RAM): अधिक सामान्य और सस्ती होती है, लेकिन नियमित रिफ्रेश की आवश्यकता होती है।
    • SRAM (Static RAM): तेज होती है, लेकिन महंगी और अधिक ऊर्जा खपत करती है।

रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM) का विवरण

रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM) कंप्यूटर की प्राथमिक मेमोरी होती है, जिसका उपयोग डाटा और निर्देशों को अस्थायी रूप से संग्रहीत करने के लिए किया जाता है। जब भी कंप्यूटर पर कोई प्रोग्राम या एप्लिकेशन चलाया जाता है, तो उसे RAM में लोड किया जाता है ताकि CPU तेजी से उस पर कार्य कर सके।

RAM के प्रकार

  1. SDRAM (Synchronous DRAM):
    • यह सामान्यतः कंप्यूटर में उपयोग की जाने वाली मेमोरी होती है।
    • यह क्लॉक स्पीड के साथ सिंक्रोनाइज होकर काम करती है, जिससे यह तेज और कुशल होती है।
  2. DDR (Double Data Rate) RAM:
    • यह SDRAM का उन्नत संस्करण है और यह प्रत्येक क्लॉक साइकिल पर दो बार डेटा ट्रांसफर कर सकती है।
    • विभिन्न संस्करण: DDR, DDR2, DDR3, DDR4, DDR5
    • हर अगला संस्करण अधिक गति और बेहतर ऊर्जा दक्षता प्रदान करता है।
  3. SRAM (Static RAM):
    • यह डेटा को स्टोर करने के लिए फ्लिप-फ्लॉप का उपयोग करती है।
    • यह तेज और महंगी होती है।
    • इसे सामान्यतः कैश मेमोरी के रूप में उपयोग किया जाता है।
  4. DRAM (Dynamic RAM):
    • यह डेटा को स्टोर करने के लिए कैपेसिटर का उपयोग करती है।
    • इसे समय-समय पर रीफ्रेश करना पड़ता है।
    • यह सस्ती और धीमी होती है, लेकिन बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए उपयुक्त होती है।
    •  

5.      EDO (Extended data Output) Ram: EDO Ram में किसी भी मेमोरी स्थान लोकेशन तक पहुंचा जा सकता है यह 256 इनफॉरमेशन बाईट्स Latches में स्टोर करता है

 

रोम (ROM - Read Only Memory)

  • प्रकृति: स्थायी (Non-Volatile) मेमोरी होती है।
  • गति: अपेक्षाकृत धीमी होती है।
  • उद्देश्य: स्थायी रूप से सिस्टम फर्मवेयर और बूट डेटा स्टोर करना।
  • डाटा का रखरखाव: कंप्यूटर बंद होने पर भी डेटा बरकरार रहता है।
  • प्रकार:
    • PROM (Programmable ROM): एक बार प्रोग्राम होने के बाद बदला नहीं जा सकता।
    • EPROM (Erasable PROM): जिसे UV लाइट के माध्यम से मिटाया और पुनः प्रोग्राम किया जा सकता है।
    • EEPROM (Electrically Erasable PROM): जिसे इलेक्ट्रिकली मिटाया और पुनः प्रोग्राम किया जा सकता है।
    • Flash Memory :फ्लैश मेमोरी डेटा को तब तक संग्रहीत रखती है जब तक उसे जानबूझकर मिटाया न जाए, बिजली की आपूर्ति बंद होने पर भी डेटा सुरक्षित रहता है।फ्लैश मेमोरी डेटा को तेजी से पढ़ और लिख सकती है, जिससे यह तेज प्रदर्शन प्रदान करती है। यह मेमोरी प्रकार ऊर्जा कुशल होती है और कम बिजली की खपत करती है, जिससे पोर्टेबल डिवाइसों की बैटरी लाइफ बढ़ती है। फ्लैश मेमोरी छोटे और हल्के रूप में उपलब्ध होती है, जिससे इसे कहीं भी ले जाना आसान होता है।यह मैकेनिकल हार्ड ड्राइव की तुलना में अधिक टिकाऊ होती है, क्योंकि इसमें कोई मूविंग पार्ट्स नहीं होते हैं। 

 

सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory)

हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD)

  • प्रकृति: स्थायी (Non-Volatile) होती है।
  • गति: धीमी होती है (प्राइमरी मेमोरी की तुलना में)।
  • उद्देश्य: बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर करना।
  • डाटा का रखरखाव: कंप्यूटर बंद होने पर भी डेटा बरकरार रहता है।
  • विशेषता: इसमें चुंबकीय डिस्क का उपयोग होता है, जो डेटा को स्टोर और पुनः प्राप्त करता है।

सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD)

  • प्रकृति: स्थायी (Non-Volatile) होती है।
  • गति: तेज होती है (HDD की तुलना में)।
  • उद्देश्य: तेज गति से डेटा स्टोर और एक्सेस करना।
  • डाटा का रखरखाव: कंप्यूटर बंद होने पर भी डेटा बरकरार रहता है।
  • विशेषता: इसमें फ्लैश मेमोरी चिप्स का उपयोग होता है, जिससे यह अधिक विश्वसनीय और ऊर्जा कुशल होती है।

यूएसबी फ्लैश ड्राइव

  • प्रकृति: पोर्टेबल और स्थायी (Non-Volatile) होती है।
  • गति: मध्यम होती है।
  • उद्देश्य: डेटा को आसानी से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में ट्रांसफर करना।
  • डाटा का रखरखाव: कंप्यूटर बंद होने पर भी डेटा बरकरार रहता है।
  • विशेषता: यह छोटी, हल्की और पोर्टेबल होती है, जिससे इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है।

ऑप्टिकल डिस्क (CD/DVD/Blu-ray)

  • प्रकृति: स्थायी (Non-Volatile) होती है।
  • गति: धीमी होती है (SSD और HDD की तुलना में)।
  • उद्देश्य: मीडिया फाइल्स, सॉफ्टवेयर और बैकअप स्टोर करना।
  • डाटा का रखरखाव: कंप्यूटर बंद होने पर भी डेटा बरकरार रहता है।
  • विशेषता: इसमें डेटा को ऑप्टिकल लेज़र की मदद से पढ़ा और लिखा जाता है।

इन मेमोरी प्रकारों का संयोजन कंप्यूटर सिस्टम की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे डेटा को प्रभावी ढंग से स्टोर और प्रबंधित किया जा सकता है।

 

हार्ड डिस्क और हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) एक ही चीज़ के दो नाम हैं। यह कंप्यूटर की एक महत्वपूर्ण स्टोरेज डिवाइस होती है, जिसका उपयोग डेटा को स्थायी रूप से संग्रहीत करने के लिए किया जाता है। यह नॉन-वोलटाइल मेमोरी होती है, जिसका मतलब है कि डेटा को बिजली की आपूर्ति बंद होने पर भी संग्रहीत रखा जाता है।

HDD की प्रमुख विशेषता उसकी क्षमता को प्रदर्शित है, एक टेराबाइट 1000 गीगाबाइट की होती है जहां 1GB = 1 अरब Bytes की क्षमता होती है Disk ड्राइव की परफॉर्मेंस कितने समय में कितना डाटा रिट्रीव किया गया है उसके अनुसार मापी जाती है जैसे डाटा रेट

ऑप्टिकल डिस्क एक प्रकार की स्टोरेज मीडिया है जो डेटा को संग्रहीत करने और पुनःप्राप्त करने के लिए प्रकाश (लाइट) का उपयोग करती है। यह आमतौर पर एक गोल, फ्लैट डिस्क होती है जो प्लास्टिक से बनी होती है और उस पर डेटा को संग्रहीत करने के लिए एक धात्विक परत होती है।

ऑप्टिकल डिस्क के प्रकार

  1. CD (Compact Disc):
    • CD-ROM (Read-Only Memory): डेटा को केवल पढ़ा जा सकता है, इसे बदला नहीं जा सकता।
    • CD-R (Recordable): एक बार डेटा लिख सकते हैं, लेकिन इसे मिटा नहीं सकते।
    • CD-RW (ReWritable): डेटा को कई बार लिखा और मिटाया जा सकता है।
  2. DVD (Digital Versatile Disc):
    • DVD-ROM: केवल पढ़ने के लिए, जैसे मूवीज और सॉफ्टवेयर वितरण।
    • DVD-R/DVD+R: एक बार लिखने योग्य।
    • DVD-RW/DVD+RW: कई बार लिखने और मिटाने योग्य।
    • DVD-RAM: कई बार लिखने और मिटाने योग्य, उच्च विश्वसनीयता के साथ।
  3. Blu-ray Disc:
    • BD-ROM: केवल पढ़ने के लिए, उच्च-गुणवत्ता वाली वीडियो और डेटा स्टोरेज के लिए।
    • BD-R: एक बार लिखने योग्य।
    • BD-RE (Rewritable): कई बार लिखने और मिटाने योग्य।

4.    Pen Drive and Flash Memory पेन ड्राइव, जिसे फ्लैश ड्राइव या यूएसबी ड्राइव भी कहा जाता है, एक पोर्टेबल डेटा स्टोरेज डिवाइस है जो फ्लैश मेमोरी का उपयोग करके डेटा को संग्रहीत करता है। इसे कंप्यूटर के यूएसबी पोर्ट में प्लग करके डेटा को आसानी से पढ़ा और लिखा जा सकता है।पेन ड्राइव का आकार छोटा और हल्का होता है, जिससे इसे आसानी से जेब या बैग में रखा जा सकता है।आधुनिक पेन ड्राइव्स में USB 3.0 और USB 3.1 जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो तेजी से डेटा ट्रांसफर करती हैं।

5.    Smart Media Card :यह इन दोनों डिजिटल कैमरे में इस्तेमाल होने वाला सबसे लोकप्रिय और एक पोर्टेबल क्रेडिट कार्ड की तरह है

6.    Secure Digital Card: यह दूसरी पीढ़ी मल्टीमीडिया कार्ड है उसमें डाटा को लॉक और प्रोटेक्ट करने की क्षमता है इसमें दो संस्करण है

1. मिनी एसडी(MiniSD) कार्ड यह स्मार्टफोन में डाटा भंडारण की आवश्यकता में पूरा करता है

2. MicroSD Card( माइक्रो एसडी कार्ड) यह मिनी MiniSD मेमोरी कार्ड से छोटा होता है तथा उसकी सभी विशेषताएं उसमे  उपलब्ध होती है

 

Windows 11 में कंप्यूटर सिस्टम कॉन्फ़िगरेशन जांचने के लिए विभिन्न तरीके हैं:

  1. सेटिंग्स का उपयोग करना:
    • Start मेनू से Settings खोलें.
    • System को चुनें और फिर About पृष्ठ पर जाएं।
    • यहाँ पर, आपको अपने कंप्यूटर की बेसिक सिस्टम इनफॉर्मेशन जैसे Processor, RAM, और Windows एडिशन की जानकारी मिलेगी।
  2. System Information उपयोग करना:
    • Start मेनू से "System Information" लिखकर खोजें और उसे खोलें।
    • यहाँ पर आपको विस्तृत सिस्टम कॉन्फ़िगरेशन जैसे Hardware Resources, Components, Software Environment और Network Components की जानकारी मिलेगी।
  3. कमांड प्रोम्प्ट (Command Prompt) उपयोग करना:
    • Start मेनू से "Command Prompt" लिखकर खोजें और "Run as administrator" चुनें।
    • यहाँ पर आप "systeminfo" कमांड टाइप करके भी सिस्टम इनफॉर्मेशन प्राप्त कर सकते हैं। इससे आपको विस्तृत और अच्छी तरह से फॉर्मेटेड सिस्टम इनफॉर्मेशन मिलेगी।

ये तीन तरीके हैं जिनका उपयोग करके आप अपने Windows 11 कंप्यूटर की सिस्टम कॉन्फ़िगरेशन की जांच कर सकते हैं।

कमांड प्रॉम्प्ट का उपयोग करके Windows 11 में सिस्टम कॉन्फ़िगरेशन जानकारी प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:

  1. कमांड प्रॉम्प्ट को एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में खोलें:
    • स्टार्ट मेनू पर क्लिक करें, "Command Prompt" लिखें।
    • "Command Prompt" पर राइट-क्लिक करें और "Run as administrator" चुनें।
  2. systeminfo कमांड का उपयोग करें:
    • खुले हुए Command Prompt विंडो में systeminfo  टाइप करें और Enter दबाए।

 


76 1 month ago