Blog - GST Theory

GST  Theory

GST Theory

Tally Prime with GST

GST क्या है?

Goods and Services Tax (GST) यह टैक्स 1 July 2017 से पूरे भारत मे लागू किया गया। इससे पूरे देश मे किसी भी सामान को खरीदने पर एक Tax Rate चुकाना होगा। यानि पूरे देश मे किसी भी सामान की कीमत एक समान ही रहेगी।

GST की मुख्य बातें:

एक देश एक टैक्स (Tax)

गरीबों के उपयोग की चीजे GST से फ्री रहेगी। GST के कारण कच्चा बिल व्यवस्था समाप्त होगी।

Business का  Real Time Data available होगा।

GST Technology से जुड़ा Tax है। Invoice Matching System पर work करता है।

GST तीन प्रकार का होता हैः

SGST (State Goods and Services Tax)

2) CGST (Central Goods and Services Tax)

3) IGST (Integrated Goods and Services Tax)

जब कोई वस्तु Same स्टेट (State) मे बिकती है तो उस पर जो GST लगता है उसके दो Part होते हैं:

1) SGST

2) CGST

जैसे किसी वस्तु पर 5% GST हैं तो उसमे 2.5% SGST होगा (यानि यह पैसा state govt  को मिलेगा) और 2.5% CGST होगा (यानि यह पैसा Central govt को मिलेगा) SGST का हिस्सा उस State की govt  को मिलेगा जिस state मे वह वस्तु बिकी है। इसे ही हम Destination Base Tax कहते है।

जब वस्तु अन्य state में बिकती हैं तो उसका पूरा Tax एक बार Central Govt. को चला जाता हैं बाद में जिस state मे वह वस्तु बिकी है उस state govt. को Tax का SGST वाला हिस्सा मिल जाता है।

यानी IGST अपने आप मे कोई नया Tax नही हैं

VAT, Service Tax, Excise, Laundry Tax, Transportation Tax जैसे 17 Tax  23 cess हटाकर उसकी जगह GST लागु हुआ।                                                                                                                                     

 

 

 

IMFL, Crude etc. पर  अभी VAT लगेगा (VAT का पूरा पैसा State Govt. को जाता हैं।)

GST Registration

GST का Registration करवाने पर GST IN नम्बर मिलता है।

GST IN No. 15 Digit  का होता है।

जिसमें आगे के 2 digit State Code

Next 10 Digit PAN Card No.

Next 1 Digit Entity Code

Next 14 वां Character Z रहता हैं।

Next 15 वां Digit Check Sum Digit होता हैं।

GST का Registration होने के बाद www.gst.gov.in Site मे पर जाकर Login करके GST जमा करवाया जा सकता है।

GST की Details Auto fill  के लिए JSON Format को Support  करता है। Tally Software 3B JSON Format मे Export करने की Facility देता है। मुख्य रूप से GST Slabs ये हैं 5%, 12% , 18%, 28%, Tax Free.

Gold Per 3% Tax लगता है।

Diamond per 2.5% Tax लगता है।

Gold Jewelry पर 5% Tax लगता है।

GST Registration:-

20 Lakh से ज्यादा Aggregate Value वालो को GST Registration कराना अनिवार्य होता है।

1. Service Provider > 20 Lacs

2. Others > 40 Lacs

Aggregate Value क्या होती हैः-

जिस Output का PAN card No same हो (जिसमें 0% GST वाली Sales भी इसमे शामिल होगी)

उत्तर पूर्वी राज्यों 10 लाख से अधिक Turnover है, उन्हें भी GST का Registration कराना अनिवार्य होता है। यदि कोई व्यक्ति Reverse charge  के अन्तर्गत Liable है तो उसे भी GST का Registration कराना अनिवार्य है। चाहे उसकी Turnover 10 लाख से कम हो।

जो GST का Input Credit लेना चाहते है वो भी GST का Registration करवा सकते है चाहे उसकी Turnover 20 लाख से कम हो ।

GST का Jurisdiction / Administration Central Govt के पास रहेगा या  State Govt. के पास रहेगा ये Randomly  लोटरी System पर decide होगा ।

1.5 करोड़ से कम 90% State Govt. / 10% Central Govt. के अण्डर मे Registered होंगे। 

 1.5 करोड़ से ऊपर 50% State Govt / 50% Central Govt. के Under  मे  Registered  होगा

Example: एक व्यापारी जिसकी Turnover 1.5 करोड से कम है वह Central Govt  या State Govt  किसी के भी पास Registered हो सकता है क्योकि यह Randomly लोटरी System  से decide होता है।

- Goods Services कें लिए Purchase Sales word use न करके Outwards Supply & Inwards Supply use किया जाएगा।

GST Adjustment Pattern

        1st          2nd

Input   Output   

Output

 
SGST      SGST     IGST  
CGST        CGST  IGST  
IGST        IGST     CGST         3. SGST

 

HSN Code:  Harmonized System of Nomenclature

SAC:  Service Accounting Code

हर वस्तु को एक अलग पहचान देनें के लिए HSN Code develop हुआ। यह 8 digit का होता हैं! अलग-अलग Service कों अलग पहचान देने के लिए SAC develop हुआ। HSN  Code  world Trade Organization द्वारा Decide किया जाता हैं! HSN Code होनें से उस वस्तु की पहचान सही अर्थों में की जा सकती हैं, क्योंकि  एक ही वस्तु का नाम अलग-अलग भाषाओं मे अलग-अलग रहता हैं। लेकिन HSN Code एक होने से उसकी पहचान आसानी से हो सकती हैं।

जिसमें शुरू के 2 Digit Chapter Code,

अगले 2 Digit Heading, 

अगले 2 Digit Sub Heading,

अगले 2 Digit Tariff Item होते हैं।

www.Cyberx.In से हम किसी भी Goods का HSN Code जान सकतें हैं।

Service Code : SAC (Service Accounting Code) यह Six Digit का  होता हैं 

Supply of Goods पर HSN Code लगेगा

Supply of Services पर SAC Code लगेगा।

GST का Administration Jurisdiction Randomly के आधार पर रहेगा।

1.5 करोड से कम Turnover - 90% State, 10% Center

Milk पर GST लगता हैं लेकिन कुछ Milk Product Per GST लगता हैं। जैसे : Ice cream पर 28% GST लगता है।

माल Import करने वालों पर Custom Duty भी लगेगी व GST भी लगेगा। जिससे Import Goods महंगा हो जाएगा। इससें Make In India को बल मिलेगा।

Export पर Tax वापस Refund हो जाएगा। जिससे Export को बढ़ावा मिलेगा। GST से Cascading of Tax हट जाएगा। इसका मतलब है Tax के ऊपर Tax नहीं लगेगा।

Eg. पहले Manufacturing पर Excise लगता था फिर उस माल को बेचने पर VAT भी लगता था। GST Technology based होने से Black Economic खत्म होगी,Tax की चोरी पर रोक लगेगी। Paper work Reduced होगा।

Job work वालों की Service (Supply) Turn over 20 लाख से ज्यादा है तो GST Registration कराना होगा।

Service Tax वालों को पहले Goods या Assets खरीदने पर Tax Credit नहीं मिलता था। वह अब मिला करेगा। वहीं Trading वालों को भी Service पर Credit मिलेगा।

Eg. : Anil Computers पर 18% GST लगता हैं और Anil Com. Assets खरीदता है उस पर GST लगता है तो उस पर उसको Tax credit मिलेगा।

लेकिन कुछ Assets का Credit  नहीं मिलता है। जैसे Vehicle, Health fitness, Club Member ship, Travelling Benefit to Employee on  Vacations, Goods Stolen/destroyed, Free Sample distribution, written off etc.

कुछ वस्तुओं  पर Cess भी रहेगा।

GST IN PAN No. Based हैं अतः एक व्यक्ति को एक ही  GST IN Issue होगा Companies, Partnership firms Etc. को अलग से GST IN  मिलेगा।

GST की पूरी Chain में यदि एक भी Assesse Tax जमा नहीं कराता है तो Tax Credit नहीं मिलेगा। VAT वाली Chain में नीचे वाली Step वाले Tax का Credit लेते थे और ऊपर वाले Tax जमा नहीं कराता तो Govt को Tax का Loss होता था। लेकिन GST वाले Case में माल बेचने पर नुकसान भी हो सकता हैं।

UIN : Unique Identification No. (यह Govt department को मिलेगा।)

SEZ : Special Economic  Zone

GST Return हर 3 महीनें में भरनी होती है। 1.5 करोड से ज्यादा टर्न ओवर वालों को Monthly Return भरना होगा।

Tax का Credit चाहिए तो Customer की Detail डालनीं जरूरी है।

GST R1:- Outword Supply Detail (Quaterly for Less than 1.5 Crore, Monthly for Greater than 1.5 Crore)

GST R2:-  Inword Supply Details 

GST R3:- जों हमें Govt को Submit कराना हैं। (Monthly)

Unregistered Creditor से माल खरीदने पर Tax का Credit Next Month से मिलेगा।

B to B:- Business to Business

B to C:- Business to Consumer

GST में जिस State को 5 साल तक कें अंदर Tax का Loss होगा उस  Tax की भरपाई Central Govt. करेगी।

 

1. www.gst.gov.in >   Login

2. Paid Tax / Challan Generate

3. Mannual/ RTGS/ NEFT/ Online

Note : only Less than 10,000/- can be deposited manually, but other can deposit GST > online only.

1. Mannual GST challan will be submited on any bank in which your account assist.


223 1 year ago